बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर की प्रमुख कृतियों में सामाजिक द्रश्य।
DOI:
https://doi.org/10.21276/IERJ258934318026Keywords:
धर्मशास्त्र, उच्चवर्णीय, सीढ़ीबद्ध, कपोल कल्पित धारणा, रुढ़िवादी, संकुचित, इण्डो-आर्यन, कटटरपंथी, संक्रमित, पूर्वजन्म, वाल्टेयरAbstract
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर अपने गंभीर शोध के आधार पर हिन्दुओं के इन धर्मशास्त्रों के संबध में उल्लेख करते हैं कि इन धर्मशास्त्रों में दिये विवरण पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया जा सकता और इसके दो कारण है प्रथम - मैं एक सच्चा इतिहासकार की परंपरा का अनुशरण नहीं करता हूँ जो सभी साहित्य को औचित्यहीन की श्रेणी में रखता है क्योंकि जो साहित्य में विवरण होता है वह इतिहास लेखन के मापदण्डों के बिल्कुल उलट होता है दूसरा - धर्मशास्त्रों के प्रति सम्मान व श्रद्धा किसी के आदेश से नहीं दिखायी जा सकती, यह केवल सामाजिक कारकों के प्रति भावनात्मक लगाव के कारण ही हो सकती है। तथाकथित उच्चवर्णीय हिन्दुओं की इन धर्मशास्त्रों के प्रति जो सम्मान व श्रद्धा है, उसका मुख्य कारण यह है कि हिन्दुओं के यह धर्मशास्त्र ब्राह्मणों को प्रत्येक दशा में सर्वोच्च स्थान प्रदान करते हैं, जबकि गैर ब्राह्मण (विशेषकर शूद्र वर्ण के लोगों) की प्रगति में हिन्दुओं के ये धर्मशास्त्र एक बड़े अवरोध के रूप में ही कार्य करते हैं। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर अपनी इस पुस्तक में लिखते हैं कि हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था एक मात्र धारणा है, जो सदियों से भारतीय समाज में प्रमुख के रूप अपना अस्तित्व बनाये हुये है इसलिए बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने महात्मा गाँधी से बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हिन्दू समाज की मानवीय आधार पुर्नसंरचना करनी हीे चाहिए, जिसमें स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुत्व (भाईचारा की भावना) के सिद्धांत मौजूद रहे।
References
पूरनमलः दलित संघर्ष और सामाजिक न्याय, आविष्कार पब्लिशर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर, 2002, पृष्ठ 163
वसंतमूनः बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, वसंत कुंज, नई दिल्ली, 2014, पृष्ठ 108
वही
अम्बेडकर, डॉ. बी. आरः एनिहिलेशन ऑफ कास्ट विद ए रेप्लाई टू महात्मा गाँधी, भीम पत्रिका पब्लिकेशंस, जालंधर, पंजाब, 1987 पृष्ठ 144
वही
वही
वही
वही, पृष्ठ 122
पूरनमलः दलित संघर्ष और सामाजिक न्याय, अविष्कार पब्लिशर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर, 2002, पृष्ठ 163
वही
वही
वही
वही
इस पुस्तक को महात्मा ज्योतिवा राव फुले को समर्पित करते हुये बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने महात्मा ज्योतिव ाराव फुले को आधुनिक भारत सबसे महान शूद्र कहा था। यह वही फुले थे, जिन्होंने विदेशी शासन से आजादी पाने की अपेक्षा देश में सामाजिक लोकतन्त्र की स्थापना तथा बहुजन समाज की महिलाओं को शिक्षित करने के कार्य को सर्वोपरि महत्व दिया था। (पूरणमलः दलित संघर्ष और सामाजिक न्याय, आविष्कार पब्लिशर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर, 2002, पृष्ठ 161)
अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.: हू वर द शूद्राज? हाऊ दे केम टू बी द फोर्थ वर्णा इन इण्डों-आर्यन सोसायटी, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिटेड, बम्बई, 1948, पृष्ठ 1
वही, पृष्ठ, 2
वही, पृष्ठ, 3
वही, पृष्ठ, 4
वही, पृष्ठ, 5
वही
वही
अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.: हू वर द शूद्राज? हाऊ दे केम टू बी द फोर्थ वर्णा इन इण्डों-आर्यन सोसायटी, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिटेड, बम्बई, 1948, पृष्ठ 1
वही
अहीर, डी. स: डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर राइटिंगस एण्ड स्पीचेस, बी. आर. पब्लिशिंग कापरेशन, नई दिल्ली, 2007, पृष्ठ, 173
वही, पृष्ठ, 174
वही, पृष्ठ, 175
वही
अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.ः हू वर द शूद्राज, रिप्रिंट, दिल्ली, 1947, पृष्ठ 6
वही
वही, पृष्ठ, 7
वही, पृष्ठ, 8
वही, पृष्ठ, 8
अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.ः हू वर द शूद्राज, रिप्रिंट, दिल्ली, 1947, पृष्ठ, 9
वही
अहीर, डी. सीः डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर राइटिंगस एण्ड स्पीचेस, बी. आर. पब्लिशिंग कोपरेशन, नई दिल्ली, 2007, पृष्ठ 191
पूरनमलः दलित आन्दोलन और अम्बेडकर, अविष्कार पब्लिशर्स, डिस्टीब्यूटर्स, जयपुर, 2002, पृष्ठ 162
अम्बेडकर, डॉ. बी. आरः द अनटचेबिल्स: हू वर दे एण्ड ह्वाय दे बिकेम अनटचेबिलस, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिडेट, बम्बई, अक्टूबर, 1960, पृष्ठ 3
वही
अम्बेडकर, डॉ. बी. आरः द अनटचेबिल्स: हू वर दे एण्ड ह्वाय दे बिकेम अनटचेबिलस, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिडेट, बम्बई अक्टूबर, 1948, पृष्ठ 3
वही
वही
वही, पृष्ठ, 3
वही
वही, पृष्ठ, 4
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर अपनी इस पुस्तक ‘द अनटचेबिलस‘ में अस्पृश्य लोगों (अपवित्र लोगों) को अलग-अलग श्रेणी में रखते हैं। (अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.ः द अनटचेबिलसः हू वर दे एण्ड ह्वाय दे बिकेम अनटचेबिलस, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिडेट, बम्बई, 1948, पृष्ठ 4)
अहीर, डी.सी.ः डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर, राइटिंगस एण्ड स्पीचेस, बी. आर. पब्लिशिंग कापरेशन, दिल्ली, 2007, पृष्ठ 187
अम्बेडकर, डॉ. बी. आर.ः द अनटचेबिल्सः हू वर दे एण्ड ह्वाय दे बिकेम अनटचेबिलस, ठक्कर एण्ड कम्पनी लिमिडेट, बम्बई, 1948, पृष्ठ 7
वही
वही
वही
वही, पृष्ठ 71
वही
वही
वही, पृष्ठ 95
वही
डॉ. पूरनमलः दलित संघर्ष और सामाजिक न्याय, अविष्कार पब्लिशर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स,जयपुर,2002, पृष्ठ 95
वही
वही
वही
वही, पृष्ठ 95
वही, पृष्ठ, 96
अम्बेडकर, डॉ. बी. आरः हृाट कांग्रेस एण्ड गाँधी हेव डन टू द अनटचेबिलस,रिप्रिन्टबम्बई, 1945, पृष्ठ 3
वही
वही
वही
अहीर, डी. सी.ः डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर राइटिंग्स एण्ड स्पीचेस, बी. आर. पब्लिशिंग कापरेशन, दिल्ली, 2007, पृष्ठ 286
वही, पृष्ठ, 273
वही
अहीर, डी. सी.ः डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर राइटिंग्स एण्ड स्पीचेस, बी. आर. पब्लिशिंग कापरेशन, दिल्ली, 2007, पृष्ठ 273
वही।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2025 International Education and Research Journal (IERJ)

This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.