पुतलियाँ एवम् सीखने के स्तर

Authors

  • डॉ. राजेश कुमार निमेश सह-आचार्य, मीडिया उत्पादन प्रभाग, सी आई ई टी, एन सी ई आर टी, दिल्ली

Keywords:

पुतलीकलाँ, छड़ पुतलियाँ, उगली पुतलियाँ, धागा पुतलियाँ, जुर्राब पुतलियाँ

Abstract

पुतलियाँ सीखने का एक सशक्त माध्यम है, जिसे शिक्षण अधिगम में कई वर्षो से अपनाया जा रहा है। पुतलियों भी विभिन्न आयु वर्ग के लिए एक विशेष महत्व रखती हैैं। प्रारंभिक बचपन के कार्यक्रम में पुतली गतिविधियों को शामिल करने से बुद्धि और स्मृति को बढ़ावा मिलता है, जैसे कि रचनात्मक सोच और कल्पना को बढ़ाना, आत्म-नियंत्रण और भावनाओं का अधिक प्रबंधनीय, सामाजिक और मेलजोल सुनिश्चित करना, ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास करना; भाषा और संचार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों को जोड़ना। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुतली गतिविधियों में निहित दैनिक जीवन के कौशल को जीवन में अनुवादित किया जा सकता है। संक्षेप में, पुतली गतिविधियाँ बच्चों के बीच जीवन कौशल बढ़ाने, सीखने के अनुभव के विकास और ज्ञान को व्यापक बनाने में मदद करती हैं। पुतली गतिविधियों को प्रारंभिक बचपन की शिक्षा में एकीकृत किया जाना चाहिए, जिससे बच्चों का विकास समावेशी संभव हो सके। इसलिए इस आलेख के माध्यम से विद्यालयों में पुतलीकला का शिक्षण-अधिगम के रुप में, शिक्षा में पुतलीकला के उपयोग के उद्देश्य, पुतलीकला का उपयोग व्यवहार को सुदृढ़ करने, नैतिकता ओर मूल्य सिखाना, शैक्षिक उपकरण के रुप में, संवेदन विषय को समझने के लिए, बच्चों की आयु और पुतलियाँ, आयु वर्गीकरण, का उललेखन किया गया हैं।

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Published

15-12-2015

How to Cite

डॉ. राजेश कुमार निमेश. (2015). पुतलियाँ एवम् सीखने के स्तर. International Education and Research Journal (IERJ), 1(5). Retrieved from http://ierj.in/journal/index.php/ierj/article/view/2909